रामचरित मानस

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किष्किन्धाकाण्ड श्री रामजी से हनुमानजी का मिलना और श्री राम-सुग्रीव की मित्रता चौपाई : * आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥ तहँ रह सचिव सहित सुग्रीवा। आवत देखि अतुल बल ...

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